Tuesday 13 September 2011

पैसा...पैसा...पैसा

पैसा बड़ा या इन्सान 
पैसा बड़ा या भगवान
पैसा जरूरी या आराम
क्या पैसा बनाये शैतान
क्या पैसे के बिना नहीं कुछ भी संभव
क्या है कोई ऐसा जिसे नहीं पैसे की जरूरत
पैसे के बिना क्या कर सकते है आप
पैसे के बिना क्या चल सकते है आप
क्या रिश्तों में है पैसे की गर्मी
क्या पैसों में बिकती है मर्यादा, बेशर्मी
नाराजगी बिकती है पैसों में, प्यार भी बिकता है
सलाह बिकती पैसों में, दीदार बिकता है
कमजोर बिकता है पैसों में, होशियार बिकता है
बचपन बिकता है पैसों में जवानी बिकती है 
हर उम्र जवान होती है पैसे से, हर उम्मीद बयां होती है  
मैंने सुना है दुनिया में दूसरा खुदा पैसा है 'दोस्तों'
क्या वाकई यह सब पैसा कर सकता है
या हमारे हाथो  में आकर वो अपना रूप बदलता है
क्या यह पैसे की ताकत है या हमारे गुरुर से मिलकर वो इतना ताकतवर बन जाता है
कि एक इंसान को तो छोड़ दो सारी दुनिया को चलाता है?

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