ऐसा क्यो होता है
दिल ....और दिमाग करते है मशक़्क़त
कौन है ऐसा जो देगा इसका उत्तर
मुझ से पूँछा तू बता क्या है बेहतर
प्यार की गाली या दोस्ती की शिद्दत
सवाल गंभीर था
डूब गई सोच में!!
फिर बोली
ये दोनो है ज़िन्दगी की जरूरत
एक उम्र भर का साथ है और दूसरा खूबसूरत रिश्ता
दोस्ती है कच्ची मिट्टी ......
टूट -टूट कर बिखर बिखर कर ....
नये - नये रूप रखती है .....
प्यार उस मिट्टी का पक्का रूप है!!
जिसमें खुशियाँ तो है .....
पर गम की भी कडी धूप है ...!!!!!
जरा ढेस लगे तो दरार बने .....
फिर ज़िन्दगी किसी काम की नही रहती।
पल भर में ......पंगु कर देती है !! .....
पर दोनो में मिट्टी ही होती है !!
विश्वास और भरोसे की जो दोस्ती के कच्चे घड़े को पक्के प्यार के कलश में बदलती है ।
खुशी के सागर और गम की रात देती है....
हर पल रंग बदलती है !!
क्या है ......ये ??
पता नही !!
पल पल रंग बदलती .................है एक अलग सी दुनिया है ये.....
जहाँ बस प्रीतम के ख्याल ही मन में रहते है! .....
बस!
वो ही सपनो में और वो ही धड़कन में......!!!
दोस्ती भी फीकी लगती है !!
सब की ज़िन्दगी बदलती है ये प्यार की गाली!!
पर ......ये भी तो दोस्ती की इबादत पर बनी होती है !
ये दो आत्माओं की पूजा है ......!
भावो की अभिव्यक्ति है .....!
जिसने बस समर्पण ही सीखा है ....!
दोस्ती ने ही खुद को मिटा कर .........
प्रेम के ये रथ सीचा है ......!
दोस्ती ही पूजा है । इस जैसा न कोई दूजा है ।
पर जब सब से अच्छा दोस्त प्रेम बनता ....
तो बात ही अलग होती है ।
और जब वही प्रेम ........
उस दोस्ती के मिट्टी के कलश को तोड़ देता है!!!
तो कुछ बाँकी नही रह जाता ....
बस एक शरीर रह जाता है....
जिसमें ज़िन्दगी नही होती
वो सांस तो लेता है.......
पर जीने की इच्छा नही होती
उसका दिल तो धडकता है ........
पर खुशी नही होती
वो काम तो करता है ........
पर गति नही होती
एक पुतला बन कर रह जाता है ......
मन , आत्मा , शरीर , जज़्बात सभी कुछ तो रुक जाता है !
क्योकि यकीन ही नही हो पता कि जिस पर हम इतना यकीन कर चले थे !!!!
वो नही है हमारे पास ..........
चला गया है छोड कर बीच रास्ते में!
और पता नही ये सांस क्यों चल रही है???
बार बार खुद पर ही गुस्सा आता है ......
कि क्यों नही पहचान सके .......
उस प्यारे से चेहरे के पीछे छुपे उस हैबन को ..................................
चारू शर्मा