Thursday 21 April 2011

क्यूँ ????



एक दिन बैठे हुए सोचा मैंने ...........
क्यूँ निकलता है दिन, क्यूँ रात होती है 
क्यूँ भेद होता है, नर और नारी में 
क्यूँ भेद होता है, काली  और गोरी में 
क्यूँ शांति के लिए प्यार के लिए, जगह नही इस जहान में 
क्यूँ मानते है मृतक की आत्मा जाती है आसमान में
क्यूँ  ईश्वर पर है भरोसा, इन्सान पर नही 
क्यूँ हम में आप में एक शैतान है कहीं 
क्यूँ आज इस जग में मानवता है नही 
क्यूँ हर जगह हिंसा और पाशविकता है भरी 
फिर सोचती हूँ ................................
आज कि यह जीवन है ब्यर्थ 
जब हम इस जंहा को स्वर्ग बनाने में नही समर्थ 
फिर अतंत: सोचते सोचते हो जाता है अंत 
फिर नये जन्म के साथ शुरू होता है 
एक नये क्यूँ................ का जन्म ??????????????????????????????
                                                           चारू शर्मा 

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